कोरोना वायरस महामारी से पहले से ही जूझ रहे केरल में हाल ही में स्वास्थ्य विभाग को उस समय एक और बड़ा झटका लगा जब कोझिकोड में 12 साल के एक लड़के की मौत निपाह वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद हो गई। जानकारों का कहना है कि अगर निपाह वायरस के कुछ नए मामले और सामने आते हैं तो यह कोरोना के बाद दूसरी महामारी का कारण बन सकता है।
दक्षिण भारत राज्य केरल में पहला निपाह वायरस केस कोझीकोड जिले में 19 मई 2018 को दर्ज किया गया था। राज्य में 1 जून 2018 तक 17 मरीजों की मौत हुई थी और 18 मामलों की पुष्टि हुई थी। निपाह वायरस की पहली बार 1998 में मलेशिया में पहचान की गई थी।
Nipah Virus: केरल में दो तरह के चमगादड़ों में पाया गया निपाह वायरस के एंटीबॉडी
क्या है निपाह वायरस?
जानकारों का कहना है कि निपाह एक पैरामाइक्सो वायरस (paramyxovirus) है और यह जानवरों से इंसानों में फैल सकता है। यह एक इंसान से दूसरे इंसान में भी फैलता है। पहली बार यह मलेशिया में सुअर का पालन करने वाले किसानों के बीच पहचाना गया था। यह रोग पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में साल 2001 में सामने आया और फिर साल 2007 में सामने आया था।
यह वायरस ज्यादातर एक क्षेत्र तक सीमित था। इसके संपर्क में जो भी आते हैं उन पर इस वायरस का संक्रमण फैलता है। कुछ लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल को चखा था और इस तरल तक वायरस को लेने जानी वाली चमगादड़ थीं, जिन्हें फ्रूट बैट कहा जाता है।
निपाह के लक्षण
WHO के नोट के मुताबिक, इस वायरस से संक्रमित लोगों में शुरू में बुखार, सिरदर्द, उल्टी, गले में खराश जैसी शिकायत होती है । उसके बाद कमजोरी आना, चक्कर आना, नींद आना जैसे तमाम न्यूरोलॉजी संक्रमण आते है। ये रोगियों में encephalitis जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ लोगों में निमोनिया की शिकायत आती है और सांस लेने में दिक्कत आती है। ये लक्षण सामने आने के बाद मरीज 24- 48 घंटे में कोमा में भी जा सकते है।
निपाह वायरस का incubation period (इन्फेक्शन लगने और लक्षण के उभरने के बीच का समय) 4 से 14 दिन के बीच होता है। WHO ने कहा कि कुछ मामलों में इसके संक्रमण के 45 दिन बाद सामने आए हैं। आम तौर पर ये वायरस इंसानों में इंफेक्शन की चपेट में आने वाली चमगादड़ों, सूअरों या फिर दूसरे इंसानों से फैलता है।
क्या इसकी दवा या वैक्सीन है?
WHO के मुताबिक, अभी तक निपाह वायरस के लिए कोई भी खास दवा या वैक्सीन नहीं बनाई गई है। इसके चलते उत्पन्न होने वाले सांस परेशानियों और न्यूरोलॉजिकल दिक्कतों से निपनटे के लिए इंटेसिव सपोर्टिव केयर की (ICU) की जरूरत होती है। WHO ने सलाह दी है कि अगर किसी इलाके में निपाह का आउटब्रेक संभावित है तो जानवरों के रहने वाले एरिया को तत्काल को अलग कर देना चाहिए।
संक्रमित जानवरों का मारना चाहिए और मारे गए जानवरों को सावधानी के साथ जला देना चाहिए या गहरे दफना देना चाहिए। संक्रमित स्थलों पर दूसरे जानवरों की आवाजही बंद कर देनी चाहिए। National Centre for Disease Control ने कहा है कि जो लोग निपाह के संक्रमित जानवरों या इंसानों के बीच आए हों उनको साबुन और पानी से अच्छी तरह से हाथ धोना चाहिए। अधखाए फलों को खाने से बचें। सिर्फ धुले हुए फल खाएं।
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